
रामपुर के सिलाइबारा गांव में ग्राम समाज की जमीन पर डाॅ. भीमराव अंबेडकर बोर्ड लगाने को लेकर दो पक्षों में हुए विवाद के बाद मंगलवार शाम करीब साढ़े पांच बजे 10वीं के छात्र सुमेश (17) की गोली मारकर हत्या कर दी गई। घटना के बाद सुमेश की मां नन्हीं देवी रात साढ़े 12 बजे तक बेटे का शव गोद में लेकर बैठी रहीं। तमाम ग्रामीण भी हंगामा करते रहे। कमिश्नर और डीआइजी के पहुंचने पर परिजनों ने सात घंटे बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजने दिया.
बुधवार को ग्रामीणों के भारी विरोध और हंगामे के बीच करीब 21 घंटे बाद दोपहर 2 बजे अंतिम संस्कार हुआ। मंगलवार शाम करीब साढ़े पांच बजे परीक्षा देकर लौटे दसवीं के छात्र सुमेश की दो पक्षों में हुई मारपीट में मौत हो गई थी। घटना के बाद परिजन व ग्रामीण शव लेकर घटनास्थल पर बैठे रहे. परिजनों का आरोप है कि पुलिस की गोली से छात्र की मौत हुई है.
कमिश्नर अंजेण्य कुमार सिंह, डीआइजी मुनिराज जी, जिलाधिकारी जोगिंदर सिंह और एसपी राजेश द्विवेदी समेत तमाम अधिकारी देर रात तक परिजनों को समझाते रहे. घटना के करीब सात घंटे बीत जाने के बाद रात करीब 12.30 बजे आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई के आश्वासन पर परिजनों ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजने दिया.
बुधवार की सुबह आठ बजे पोस्टमार्टम के बाद जब शव सिलाइबाड़ा गांव पहुंचा तो परिजन प्राथमिकी में नामजद आरोपियों से संतुष्ट नहीं थे. एफआईआर में एसडीएम और तहसीलदार का नाम शामिल न होने पर ढाई घंटे तक धरना जारी रहा। पीड़ित परिवार के लोग आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी और एसडीएम मिलक व तहसीलदार मिलक का नाम एफआईआर में शामिल करने की मांग करते रहे। ढाई घंटे बाद परिजनों को कार्रवाई का आश्वासन मिलने पर शव घर ले जाया गया।
श्मशान ले जाते वक्त लोगों ने शव को सड़क पर रखकर हंगामा किया तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया. इसके बाद श्मशान घाट पर हंगामा हो गया और फिर पुलिस ने बल प्रयोग कर दंगाइयों को खदेड़ा. घटना के करीब 21 घंटे बाद दोपहर करीब 2 बजे अंतिम संस्कार किया गया। पिता गेंदनलाल ने बेटे की चिता को मुखाग्नि दी. इस दौरान कई थानों की पुलिस के साथ ही पीएसी तैनात रही। ग्रामीणों ने पुलिस व जिला प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी भी की.
मंगलवार को छात्र सुमेश की मौत के बाद गांव के पूरे दलित समाज में भारी गुस्सा था. सभी लोग एकत्र होकर ग्राम समाज की भूमि पर स्थित डॉ. बाबा भीमराव अंबेडकर बोर्ड के पास बैठ गए। इस दौरान किसी के घर में चूल्हा नहीं जला. सभी स्त्री-पुरुषों ने रोते-रोते दिन बिताया। वे दिन भर पुलिस प्रशासन पर आरोप लगाते रहे और मृतक के लिए न्याय की गुहार लगाते रहे. दोपहर में मृतक का अंतिम संस्कार होने के बाद पीड़ित परिवार को सांत्वना देने के लिए राजनीतिक लोगों का उनके घर पहुंचने का सिलसिला जारी रहा।
बुधवार शाम करीब चार बजे भीम आर्मी प्रमुख और आजाद समाज पार्टी के नेता चन्द्रशेखर आजाद सिलाइबाड़ा गांव में पीड़ित परिवार के घर पहुंचे. उन्होंने कहा कि अगर हमारा समाज पहले जाग गया होता तो सुमेश आज हमारे बीच होते. कहा कि पुलिस ने बल प्रयोग किया और परिवार की सहमति के बिना छात्र के शव का जबरन अंतिम संस्कार कर दिया। ये हमारे समाज और हमारे मूल्यों के ख़िलाफ़ है. आज फिर से हाथरस की घटना दोहराई जा रही है. उन्होंने कहा कि आज बीजेपी और आरएसएस के लोग हमारी आवाज को दबाने का काम कर रहे हैं.
जब हम बाबा डॉ. भीमराव अंबेडकर के सम्मान में अपनी जान भी दे सकते हैं तो सोचिए संविधान पर आंच आने पर हम किस हद तक जा सकते हैं. महज डेढ़-दो बीघे खाली पड़ी सरकारी जमीन पर कोई बाबा साहेब का बोर्ड लगा देगा तो क्या इसके बदले में उसे मार दिया जाएगा? इससे तो यही लगता है कि हम अभी भी पूर्णतः स्वतंत्र नहीं हैं। इस लोकतंत्र में अधिकारी अपने आप को मालिक समझने लगे हैं और दलित समाज का शोषण करना उनकी प्रवृत्ति बन गयी है.