BURHANPUR MP: मुगल काल में राजा-महाराजा ऐसी चीजों का इस्तेमाल करते थे ताकि उन्हें कोई मार न सके। उस दौरान ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता था जो आज शायद ही कहीं देखने को मिलती है। वहां एक ऐसा शीशा था, जो जहर का पता लगा सकता था. यह ग्लास कास्ट ग्लास से बनाया गया था।
इस ग्लास में चारों तरफ ग्लास था और अंदर भी ग्लास था. यह ग्लास जहर का पता लगा सकता है. अगर किसी ने पानी या किसी अन्य पेय पदार्थ में जहर मिलाया तो यह गिलास साजिश का पर्दाफाश कर देगा। मुगल काल का यह स्मृतिचिह्न आज भी बुरहानपुर में संग्राहकों द्वारा संरक्षित रखा गया है।
400 साल पुराना बर्तन
पुरातत्व संग्रहकर्ता और चिकित्सक डॉ. सुभाष माने ने लोकल 18 को बताया कि यह मुगल काल का 400 साल पुराना कांच है, जो कच्चे लोहे से बना था. इसके अंदर एक ग्लास है. यह ग्लास जहर का पता लगा लेता है. यदि कोई पानी में कीटनाशक या जहर मिलाकर राजाओं को दे देता तो गिलास के नीचे एक अलग रंग दिखाई देता, जिससे उन्हें षडयंत्र का पता चल जाता। राजा-महाराजाओं के समय में अक्सर जहर देकर मारने की साजिशें रची जाती थीं। ऐसे में कांच बहुत काम आता था.
रंग कांच के नीचे से आ रहा था
अगर इस गिलास में पानी में जहर या कीटनाशक मिला हुआ है तो गिलास से देखने पर उसमें हरा या लाल रंग दिखाई देता है। इससे पुष्टि होती है कि इस पानी में कुछ मिलाया गया है. पहचान होने के बाद लोगों ने यह पानी नहीं पिया, जिससे उनकी जान बच गई। शाहजहां-मुमताज की तस्वीर: मुगल काल के कलाकारों ने इस शीशे पर पुदीने की मदद से शाहजहां और मुमताज की तस्वीर उकेरी है। इस गिलास की लंबाई आधा फुट है. इसमें आधा लीटर पानी है.