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NAINITAL ; गौला/कोसी समेत इन नदियों में चैनलाइज़ की मांग को लेकर सुनवाई

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उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बरसात के दौरान नंधौर नदी समेत गौला, कोसी, गंगा, दाबका में भूस्खलन और बाढ़ के कारण नदियों के मुहाने बंद होने से आबादी वाले इलाकों में जलभराव और मिट्टी के कटाव को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई सितंबर माह के लिए तय की है।

आज की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता भुवन पोखरिया ने खुद खड़े होकर कोर्ट को बताया कि पिछली तारीख पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता के आरटीआई सवालों पर राज्य सरकार से जवाब मांगा था. आज राज्य सरकार ने इसके लिए कोर्ट से समय मांगा, जिस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई सितंबर के लिए तय की है.

मामले के अनुसार, चोरगलिया, हल्द्वानी निवासी भुवन चंद्र पोखरिया ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि उत्तराखंड में बारिश के कारण नदियां उफान पर हैं और नदियों के मुहाने अवरुद्ध होने से बाढ़ और भूस्खलन हो रहा है। इससे आबादी वाले इलाकों में जलभराव हो रहा है। नदियों के उफान के कारण हजारों हेक्टेयर वन भूमि, पेड़-पौधे और सरकारी योजनाएं बह गईं।

नदियों का तटीकरण नहीं होने से नदियों का रुख आबादी की ओर हो गया है। जिसके कारण उधम सिंह नगर, हरिद्वार, हलद्वानी, रामनगर, रूड़की, देहरादून में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है। बाढ़ के कारण कई पुल बह गए हैं. आबादी वाले इलाकों में बाढ़ का मुख्य कारण सरकार की लापरवाही है।

सरकार ने नदियों के मुहाने पर जमा गाद, बोल्डर और गाद को नहीं हटाया है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने हाई कोर्ट के 14 फरवरी 2023 के आदेश का पालन नहीं किया. जिसके कारण राज्य में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई है.

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि राज्य सरकार संबंधित विभागों को साथ लेकर गाद और सिल्ट बोल्डर हटाकर नदियों को चैनलाइज करे. ताकि बरसात के मौसम में नदियों का पानी बिना किसी रुकावट के बह सके। जो सरकार ने नहीं किया.

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि सरकार समय-समय पर नदियों से गाद, कीचड़ और बोल्डर हटा रही है और उन्हें चैनलाइज करने का काम कर रही है. जनहित याचिका में अदालत से नदियों और उनके मुहाने में जमा गाद को हटाने और नदियों का चैनलाइजेशन कराने का अनुरोध किया गया है. ताकि बाढ़ और भूमि कटाव से राहत मिल सके.

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