उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के निर्देशों पर नैनीताल की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले बलिया नाला भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र में आज ट्रीटमेंट कार्य देखने के लिए महाधिवक्ता व उनकी टीम ने आज क्षेत्र का दौरा किया। टीम ठेकेदार के काम से संतुष्ट दिखी।
नैनीताल के पूरी ज़हेतर में वर्षों से भूस्खलन हो रहा है। इससे दुर्गापुर से रईस होटल तक के क्षेत्र में भूस्खलन हुआ है जिसमें कई घर ढह गए। इसको रोकने के लिए कई कोशिशें की गई। अब एक बार फिर से इसे थमने के लिए बड़ा प्रोजेक्ट चलाया गया है। इसको लेकर उच्च न्यायालय में भी एक जनहित याचिका दायर की गई जिसपर न्यायालय सख्त दिखा।
उच्च न्यायालय के महाधिवक्ता एस.एन.बाबुलकर ने न्यायालय के निर्देशों पर आज याचिकाकर्ता अधिवक्ता सय्यद नदीम ‘मून’ के साथ बलियानाले में किए जा रहे ट्रीटमेंट कार्यों का निरीक्षण किया। जल शक्ति मंत्रालय के पूर्व प्रमुख(जियो)और एन.एच.पी.सी.विशेषज्ञ भास्कर दत्त पाटनी ने महाधिवक्ता एस.एन.बाबुलकर को बताया कि भूस्खलन क्षेत्र को बचाने और मजबूती प्रदान करने के लिए भूस्खलन क्षेत्र को मौनोलिथिक बनाने के साथ ग्राउटिंग की गई है, ताकि पहाड़ी को गिरने से रोका जा सके।
आपको बताते चलें की नैनीताल के बलियानाले का 173 करोड़ में ट्रीटमेंट का काम शुरू किया गया है। इससे नैनीताल की बड़ी आबादी को बचाने के लिए काम किया जा रहा है। बलियानाले के कटाव से नैनीताल के अस्तित्व को खतरा बना हुआ है और पिछले 15 सालों में ये तेजी से कटाव के कारण सिकुड़ता जा रहा है।