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उत्तराखण्ड के बेतालघाट क्षेत्र में बाघ के हमले में महिला की मौत से आक्रोशित ग्रामीणों ने वन विभाग के को बंदी बनाकर मारपीट की। उन्होंने वन कर्मियों पर बाघ पकड़ने के लिए लगाए पिंजरे को ताला लगाकर वापस लौटने पर नाराजगी जताई।

नैनीताल जिले की बेतालघाट ग्राम पंचायत ओखलढूंगा में शाम को चारा लाते समय बाघ के हमले में मरी शांति देवी की मौत के बाद से ही ग्रामीण नाराज चल रहे थे। गुरुवार सुबह ग्रामीणों ने वन विभाग पर मंगलवार की रात लगाए गए पिंजरे को बंद करने का आरोप लगाते हुए रामनगर के भंडारपानी से गश्त पर आए वन आरक्षी जसंवत रावत को घेर लिया।

ग्रामीणों और महिलाओं ने हाथपाई कर दी। वन कर्मी के साथ हाथापाई होता देख, किसी तरह वहां मौजूद अन्य वन कर्मियों ने जसवंत को बचाया। ग्रामीणों ने नाराजगी जाहिर करते हुए वन कर्मियों पर पिंजरा बंद करने का आरोप लगाया और वन विभाग के खिलाफ नारेबाजी की। उन्होंने कहा कि विभाग की लापरवाही के चलते शांति देवी को जान गंवानी पड़ी।

आरोप लगाया कि वन विभाग के अधिकारियों से क्षेत्र में लगातार बाघ के दिखाई देने की शिकायत की गई थी लेकिन उसे गंभीरता से नहीं लिया गया। इसके चलते मंगलवार की शाम बाघ ने शांति देवी को मौत के घाट उतार दिया। ग्रामीणों ने वन आरक्षी और बीट बाउचर को मौके पर बुलाने की मांग की। उन्होंने दोनों के प्रति कड़ी नाराजगी व्यक्त की।

लोगों की नाराजगी को देखते हुए वन क्षेत्राधिकारी ने लोगों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन लोग मानने को तैयार नहीं हुए। दो घंटे बाद रेंजर और गांव के बड़े बुजुर्गों ने आक्रोशित लोगों को काफी समझाया, जिसके बाद ग्रामीण शांत हुए।