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हल्द्वानी : “फ़र्ज़ी बुक छापकर कर किया लाखों का गबन, मालिक के पैरों से खिसकी ज़मीन

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हल्द्वानी शहर में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बेचने वाली प्रतिष्ठित फर्म में कार्यरत सेल्समैन ने ही अपने मालिक को लाखों का चूना लगा दिया। आरोपी ने कंपनी की फर्जी पेमेंट बुक छपवाकर ग्राहकों से खुद भुगतान लेना शुरू कर दिया, जिससे मालिक को लंबे समय तक कोई शक नहीं हुआ। मामले का खुलासा तब हुआ जब फर्म स्वामी ने लेजर मिलान किया और भुगतान के रिकॉर्ड में भारी अंतर पाया।

🔍 घटना का खुलासा: विश्वासघात की एक सुनियोजित योजना

पीड़ित अभिषेक अग्रवाल, स्वामी विहार (सुजुकी शोरूम के पीछे) के निवासी हैं। वे बरेली रोड स्थित दो प्रतिष्ठानों — एसडी इंटरप्राइजेज और बरसाना इंटरप्राइजेज — के माध्यम से थोक बिजली उपकरणों की बिक्री का कार्य करते हैं। अभिषेक की फर्म में रोहित आर्या, निवासी राजपुरा, पिछले तीन वर्षों से बतौर सेल्समैन कार्यरत था।

शुरुआत में रोहित का व्यवहार सामान्य रहा और उसने नियमित बिक्री कर मालिक का विश्वास जीत लिया। लेकिन धीरे-धीरे उसने अपने फायदे के लिए एक सोची-समझी योजना तैयार की। उसने फर्म के नाम से हूबहू मिलती-जुलती फर्जी पेमेंट बुक छपवा ली और उन्हीं के आधार पर दुकानदारों से माल का भुगतान वसूलना शुरू कर दिया।

💼 कैसे की गई धोखाधड़ी?

रोहित को पहले से माल की आपूर्ति की जिम्मेदारी दी गई थी। जब वह दुकानदारों को माल देता, तो भुगतान के लिए असली पेमेंट बुक के स्थान पर अपनी जाली बुक का इस्तेमाल करता।
क्योंकि वह फर्म का आधिकारिक सेल्समैन था, किसी को शक नहीं हुआ। दुकानदारों ने यह मानकर पैसे दिए कि वे भुगतान सही हाथों में कर रहे हैं।

इस दौरान अभिषेक अग्रवाल को भी कोई संदेह नहीं हुआ क्योंकि रोहित द्वारा बिक्री और आपूर्ति के कागजों में सबकुछ सामान्य दर्शाया जाता रहा।

📆 दिसंबर 2024 में हुआ खुलासा

सब कुछ सामान्य चलता रहा, लेकिन दिसंबर 2024 में जब अभिषेक ने बकाया भुगतान का मिलान शुरू किया, तब उन्हें संदेह हुआ कि कुछ दुकानदारों की बकाया राशि असामान्य रूप से अधिक हो गई है। इस पर उन्होंने एक-एक दुकानदार से संपर्क किया और भुगतान की पर्चियां मंगवाईं। यहीं से फर्जी पेमेंट बुक का मामला सामने आया।

लेजर मिलान और दुकानदारों की ओर से उपलब्ध कराई गई रसीदों के विश्लेषण के बाद पता चला कि रोहित ने कुल ₹9,21,403 रुपये का गबन कर लिया है।

⚖️ दूसरा मौका, फिर भी धोखा

जब यह खुलासा हुआ तो फर्म मालिक ने रोहित को तत्काल काम से निकाल दिया। हालांकि रोहित ने यह कहते हुए माफी मांगी कि वह मार्च 2025 तक सारा पैसा लौटा देगा। लेकिन मार्च बीत गया और कोई भुगतान नहीं हुआ।
मालिक ने जब दोबारा संपर्क किया तो आरोपी टालमटोल करता रहा और अंत में पूरी तरह संपर्क से गायब हो गया।

👮‍♂️ पुलिस कार्रवाई शुरू, केस दर्ज

थक-हारकर अभिषेक अग्रवाल ने बरखेड़ा थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने जांच के बाद धोखाधड़ी, विश्वासघात और फर्जी दस्तावेज के आधार पर रोहित आर्या के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।

बरखेड़ा थाना प्रभारी ने बताया कि, “आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। उसकी गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं। जल्द ही उसे पकड़ लिया जाएगा।”

🧾 व्यवसायिक जगत के लिए चेतावनी

यह मामला स्थानीय व्यापारियों के लिए एक चेतावनी के रूप में सामने आया है। यह दर्शाता है कि केवल वर्षों की सेवा और व्यवहार से किसी पर पूरी तरह विश्वास नहीं किया जा सकता। फर्जी दस्तावेज और रसीदों के माध्यम से की गई यह ठगी न केवल एक फर्म के आर्थिक नुकसान का कारण बनी, बल्कि यह क्षेत्र में व्यावसायिक पारदर्शिता की आवश्यकता को भी उजागर करती है।

📌 निष्कर्ष

रोहित आर्या द्वारा की गई यह धोखाधड़ी एक योजनाबद्ध, धीरे-धीरे रची गई साजिश थी, जो लंबे समय तक फर्म मालिक की नजरों से बचती रही। यह घटना इस बात का सबूत है कि आज के दौर में व्यापार के साथ-साथ कर्मचारियों की नियमित निगरानी, रसीदों की डिजिटल जांच और पेमेंट वेरिफिकेशन जैसे कदम अनिवार्य होते जा रहे हैं।

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