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हज में अल्लाह का करिश्मा,आमिर के बिना नहीं उड़ा जहाज़, करिश्मा देख लोगो का ईमान हुआ मज़बूत

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लीबिया के एक साधारण युवक आमिर अल महदी मंसूर अल गद्दाफी की यह असाधारण कहानी आज दुनियाभर में लोगों की आस्था और विश्वास का प्रतीक बन गई है। आमिर इस साल हज की यात्रा पर निकलने वाले लाखों तीर्थयात्रियों में से एक थे, लेकिन उनके नाम और पहचान को लेकर एयरपोर्ट पर जो कुछ हुआ, वह किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं था।

‘गद्दाफी’ उपनाम बना शक की वजह

जब आमिर अपने ग्रुप के साथ मक्का के लिए रवाना होने एयरपोर्ट पहुंचे, तो सुरक्षा एजेंसियों ने उनके नाम में मौजूद “गद्दाफी” उपनाम को लेकर सवाल उठाने शुरू कर दिए। यह नाम लीबिया के पूर्व तानाशाह से जुड़ा होने के कारण अधिकारियों को संदेह हुआ और उन्होंने आमिर को इमिग्रेशन पर रोक दिया। बाकी सभी यात्री विमान में चढ़ गए, लेकिन आमिर को बोर्डिंग से वंचित रखा गया।

हौसले की उड़ान नहीं थमी

आमिर ने अधिकारियों से मिन्नतें कीं, दस्तावेज दिखाए, लेकिन बात नहीं बनी। उन्होंने वहीं काउंटर पर बैठकर ठान लिया कि “जब तक मुझे हज की इजाज़त नहीं मिलती, मैं यहां से नहीं हटूंगा।” उनकी यह जिद जल्द ही पूरे एयरपोर्ट पर चर्चा का विषय बन गई।

विमान ने ली दो बार आपातकालीन वापसी

आश्चर्यजनक रूप से, जिस विमान से आमिर का ग्रुप रवाना हुआ था, वह तकनीकी खराबी के चलते उड़ान के कुछ समय बाद ही वापस लौट आया। विमान को दोबारा उड़ाने की कोशिश हुई, लेकिन इस बार भी वह फिर से लौट आया। यात्रियों और क्रू ने बताया कि यह तकनीकी समस्या पहले कभी नहीं हुई थी।

कैप्टन का फैसला बना आमिर की किस्मत का मोड़

दूसरी बार विमान लौटने के बाद फ्लाइट कैप्टन ने घोषणा की –
“जब तक आमिर इस जहाज में सवार नहीं होंगे, मैं फिर से उड़ान नहीं भरूंगा।”
यह सुनते ही एयरपोर्ट प्रशासन हरकत में आया और आमिर को बोर्डिंग पास थमाया गया।

तीसरी बार जब विमान ने उड़ान भरी, आमिर उसमें सवार थे – सिर पर टोपी, आँखों में श्रद्धा और होंठों पर एक ही बात: “अल्लाह चाहता है, तो रास्ते खुद बनते हैं।”

सोशल मीडिया पर वायरल हुई कहानी

आमिर की यह कहानी सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गई। लोगों ने इसे “अल्लाह का करिश्मा” कहा, तो कुछ ने इसे एक आम इंसान की ज़िद और आस्था का अद्भुत उदाहरण बताया। धार्मिक और सामाजिक संगठनों ने भी आमिर के धैर्य और निष्ठा की प्रशंसा की।

आमिर बोले – मेरी नियत साफ थी, इसलिए रास्ते खुलते गए

हज यात्रा के दौरान मीडिया से बात करते हुए आमिर ने कहा:
“मैं जानता था कि अगर हज मेरे नसीब में है, तो कोई ताकत मुझे नहीं रोक सकती। मैं रुका, रोया नहीं, बस अल्लाह से उम्मीद की और उसने मेरी सुनी।”

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