रामनगर (उत्तराखंड), जून 2025
भारत में जहां अब तक सिर्फ नामचीन क्रिकेटर, अभिनेता या राजनेताओं पर बायोपिक बनती रही है, वहीं अब पहली बार एक आम लेकिन असाधारण नागरिक की प्रेरणादायक कहानी को बड़े पर्दे पर उतारा जा रहा है।
देशभर में “हेलमेट मैन ऑफ इंडिया” के नाम से पहचान बना चुके राघवेंद्र कुमार की जीवन यात्रा पर तेलुगु भाषा में एक पैन इंडिया फिल्म बनने जा रही है, जिसकी शूटिंग इस वर्ष दिसंबर में उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों से शुरू होगी।
🎬 फिल्म नहीं, सड़क सुरक्षा की चेतावनी है यह कहानी
फिल्म का निर्माण औदम्बरा एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड, हैदराबाद द्वारा किया जा रहा है। निर्माता नंदकिशोर, पीएल प्रसाद और प्रियदर्शिनी इस परियोजना से जुड़े हैं, जबकि फिल्म के लेखक-निर्देशक धर्मेंद्र बघेल हैं, जो पिछले एक वर्ष से इस स्क्रिप्ट पर कार्य कर रहे हैं।
राघवेंद्र ने फिल्म का एग्रीमेंट भी सड़कों पर सड़क सुरक्षा अभियान के दौरान किया — यह अपने आप में एक प्रतीकात्मक कदम है।
🛵 एक हादसे ने बदल दी जिंदगी
बिहार के कैमूर जिले के रहने वाले राघवेंद्र कुमार ने 2014 में अपने दोस्त कृष्णा ठाकुर को एक बाइक दुर्घटना में खो दिया।
डॉक्टरों के मुताबिक अगर कृष्णा ने हेलमेट पहना होता, तो शायद वह बच सकते थे।
यह हादसा राघवेंद्र के जीवन का मोड़ बन गया।
🎁 हेलमेट बांटते-बांटते बन गए “हेलमेट मैन”
उसके बाद राघवेंद्र ने सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान शुरू किया।
बिना हेलमेट दोपहिया वाहन चालकों को मुफ्त में हेलमेट बांटना, ट्रैफिक नियमों की जानकारी देना और युवाओं को सतर्क करना उनकी दिनचर्या बन गई।
अब तक वे देश के 22 राज्यों में 60,000 से अधिक हेलमेट बांट चुके हैं।
💔 आंदोलन नहीं, समर्पण है यह
राघवेंद्र ने इस अभियान के लिए अपनी कमाई, जमीन, घर और पत्नी के गहनों तक को बेच दिया, ताकि किसी और की जान सड़क पर न जाए।
वह कई राज्यों में यातायात विभाग के ब्रांड एंबेसडर भी रह चुके हैं।
भारतीय सेना के साथ मिलकर वे अब 5 राज्यों में विशेष अभियान शुरू करने जा रहे हैं।
🎞️ फिल्म से समाज में बदलाव की उम्मीद
राघवेंद्र का कहना है:
“यह फिल्म सिर्फ मेरे जीवन की कहानी नहीं है, बल्कि लाखों परिवारों की वह उम्मीद है, जो हर दिन अपने अपनों के सुरक्षित लौटने का इंतज़ार करते हैं।”
फिल्म की शूटिंग उत्तराखंड, बिहार सहित उन सभी राज्यों में होगी, जहां वह अभियान चला चुके हैं।
इस फिल्म से मिलने वाली कमाई का एक बड़ा हिस्सा हेलमेट वितरण और सड़क सुरक्षा मिशन में ही लगाया जाएगा।
🌟 सिनेमाई परंपरा में नया अध्याय
दक्षिण भारतीय सिनेमा में सामाजिक विषयों पर फिल्में बनती रही हैं, पर यह फिल्म “जन-जन की सुरक्षा” को समर्पित होगी।
फिल्म निर्माताओं का मानना है कि यह कहानी देश के हर नागरिक को सोचने पर मजबूर करेगी — “क्या हम जीवन की कीमत समझते हैं या सिर्फ भागते हैं?”