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देहरादून/हरिद्वार, 29 जुलाई — उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने गंगा नदी में हो रहे अवैध खनन को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। हरिद्वार जिले में अवैध रूप से चल रहे 48 स्टोन क्रशरों को तुरंत बंद करने के आदेश दिए गए हैं। कोर्ट ने न सिर्फ क्रशरों को बंद करने को कहा, बल्कि उनकी बिजली और पानी की आपूर्ति भी तत्काल काटने का निर्देश जारी किया है।

यह आदेश उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने मातृ सदन की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। मामले की अगली सुनवाई 12 सितंबर को तय की गई है।

पूर्व आदेश की अनदेखी पर नाराज हुआ कोर्ट

गौरतलब है कि न्यायालय ने 3 मई 2024 को ही इन स्टोन क्रशरों को बंद करने का निर्देश दिया था। लेकिन इसके बावजूद ये क्रशर अब तक धड़ल्ले से संचालित हो रहे हैं। न्यायालय ने इसे “कानून की खुली अवहेलना” बताते हुए कड़ी नाराजगी जताई।

डीएम और एसएसपी को कार्रवाई का जिम्मा

कोर्ट ने हरिद्वार के जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) को व्यक्तिगत रूप से यह आदेश लागू कराने की जिम्मेदारी सौंपी है। साथ ही यह भी निर्देश दिया कि अगली सुनवाई से पहले कार्रवाई की अनुपालन रिपोर्ट न्यायालय में पेश की जाए।

याचिकाकर्ता का पक्ष – गंगा के अस्तित्व पर संकट

मातृ सदन, हरिद्वार की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि गंगा नदी में अवैध खनन बेधड़क जारी है, जो न सिर्फ नदी की पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि ‘नैशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा’ जैसी राष्ट्रीय योजना को भी ठेंगा दिखा रहा है।

मातृ सदन के स्वामी दयानंद सरस्वती ने कहा कि, “गंगा नदी मात्र एक जलधारा नहीं, करोड़ों भारतीयों की आस्था का केंद्र है। यदि खनन पर रोक नहीं लगी, तो भविष्य में गंगा नदी का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा।”

सवाल – क्या सरकार अब चेतेगी?

इस आदेश ने न सिर्फ हरिद्वार में चल रहे अवैध खनन पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि जिला प्रशासन और खनन विभाग की कार्यशैली पर भी उंगली उठाई है।
अब देखना यह है कि हाईकोर्ट के स्पष्ट निर्देश के बाद क्या प्रशासन गंभीरता से कार्रवाई करता है या फिर यह मामला भी सरकारी फाइलों में दब कर रह जाएगा।