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रामपुर। समाजवादी पार्टी के युवा नेता और पूर्व विधायक अब्दुल्ला आज़म खां को गाली-गलौज और धमकी के मामले में शुक्रवार को बड़ी राहत मिली। एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट ने सभी आरोपों से उन्हें बरी कर दिया। कोर्ट ने साफ कहा कि साक्ष्यों के अभाव में आरोप साबित नहीं होते।

लंबे समय से चल रहा था मामला

14 जुलाई 2019 को गंज थाने में तहरीर देकर फैसल लाला (वर्तमान में आम आदमी पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष) ने आरोप लगाया था कि अब्दुल्ला आज़म खां और उनके करीबी फसाहत शानू ने रास्ते में रोककर उनसे गाली-गलौज और धमकी दी थी। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर चार्जशीट दाखिल की थी।

लेकिन सुनवाई के दौरान आरोप साबित नहीं हो सके और कोर्ट ने निष्पक्षता से फैसला सुनाते हुए अब्दुल्ला आज़म खां व फसाहत शानू दोनों को बरी कर दिया।

समर्थकों में खुशी की लहर

फैसला आते ही कोर्ट परिसर में मौजूद सपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई। अब्दुल्ला आज़म खां के साथ इस दौरान अधिवक्ता सैयद आमिर और सपा जिलाध्यक्ष अजय सागर भी मौजूद रहे।

समर्थकों ने कहा कि यह फैसला सच और न्याय की जीत है। उन्होंने आरोपों को राजनीतिक साजिश करार दिया और कहा कि अब्दुल्ला आज़म हमेशा जनता के लिए संघर्षरत रहते हैं।

नेता का धन्यवाद

अब्दुल्ला आज़म खां ने कोर्ट का धन्यवाद करते हुए कहा कि—
“सच की जीत हमेशा होती है। हम जनता की सेवा और उनके अधिकारों की लड़ाई जारी रखेंगे।”