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नैनीताल। सोशल मीडिया की अंधी दौड़ और आज़ादी के नाम पर रिश्तों की मर्यादा तोड़ने वाली एक सनसनीखेज़ घटना ने पूरे समाज को झकझोर दिया है। शुक्रवार तड़के पांच बजे एक माँ अपनी 16 वर्षीय बेटी को लेकर अस्पताल पहुँची। परिजन को लगा कि बच्ची बीमार है, लेकिन डॉक्टरों की जाँच में सामने आया कि किशोरी गर्भवती है और तुरंत सामान्य प्रसव से उसने बच्ची को जन्म दिया।

जाँच के दौरान पुलिस ने पाया कि यह पूरी कहानी सिर्फ “फेसबुक फ्रेंडशिप” से शुरू हुई थी। आरोपी युवक सूरज, जो अल्मोड़ा जिले के शीतलाखेत का निवासी और नैनीताल के एक रेस्टोरेंट में काम करता है, ने दो साल पहले किशोरी से फेसबुक पर पहचान बनाई। बातचीत का सिलसिला बढ़ा और धीरे-धीरे उसने मासूमियत का फायदा उठाकर नाबालिग से यौन शोषण किया। नतीजा यह हुआ कि किशोरी नाबालिग उम्र में ही माँ बन गई।

सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि बच्ची को जन्म देने की सूचना मिलते ही आरोपी सूरज खुद अस्पताल पहुँच गया और वहाँ मौजूद लोगों को मिठाई बाँटने लगा, मानो उसने कोई “जश्न” मनाने लायक काम किया हो। लेकिन उसके इस शर्मनाक रवैये ने मौजूद हर शख्स को स्तब्ध कर दिया। अस्पताल प्रशासन की सूचना पर कोतवाल हेम पंत के नेतृत्व में पुलिस टीम ने तत्काल कार्रवाई करते हुए आरोपी को मौके से ही गिरफ्तार कर लिया। आरोपी के खिलाफ पॉक्सो (POCSO) ऐक्ट और संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।

समाज के लिए गहरी चेतावनी

यह मामला सिर्फ एक परिवार की नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए आईना है। आज सोशल मीडिया पर बिना सोचे-समझे बन रही “दोस्तियाँ” नाबालिग बच्चों की ज़िंदगी तबाह कर रही हैं। जहाँ एक तरफ़ माँ-बाप बच्चों पर अंधा भरोसा कर चैन की नींद सोते हैं, वहीं दूसरी ओर ऐसे शिकारियों की चालाकियाँ उनकी मासूमियत को रौंद देती हैं।

माँ-बाप की आँखें खोलने वाली सच्चाई

माता-पिता को यह समझना होगा कि सिर्फ मोबाइल देना ही “आज़ादी” नहीं है। हर पल बच्चों की गतिविधियों, उनकी ऑनलाइन दुनिया और रिश्तों पर नज़र रखना उतना ही ज़रूरी है जितना उन्हें सही और गलत की पहचान कराना। इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि लापरवाही की एक छोटी सी चूक मासूम ज़िंदगियाँ बर्बाद कर सकती है।

अब समाज और प्रशासन की ज़िम्मेदारी

पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर सख्त धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है—क्या प्रशासन और अदालतें ऐसे अपराधियों को सख्त से सख्त सज़ा दिला पाएंगी? क्या धार्मिक और सामाजिक संगठन इस मामले पर आवाज़ उठाकर पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए आगे आएंगे?

आज ज़रूरत है कि समाज ऐसी घटनाओं पर चुप न बैठे, वरना हर माता-पिता के घर का दरवाज़ा कल इसी तरह की ख़बरों से दस्तक दे सकता है।