मुरादाबाद। सोशल मीडिया का बढ़ता चलन अब समाज के लिए खतरे की घंटी बन गया है। एक ओर जहां यह तकनीक लोगों को एक-दूसरे से जोड़ने का माध्यम बनी है, वहीं इसका गलत इस्तेमाल रिश्तों को तोड़ने और सामाजिक मूल्यों को नष्ट करने का कारण भी बनता जा रहा है। हाल ही में मुरादाबाद में ऐसा ही एक मामला सामने आया जिसने सोशल मीडिया के अंधेरे पक्ष को उजागर कर दिया।
थाना सिविल लाइंस क्षेत्र में रहने वाले व्यक्ति ने पुलिस को दी गई तहरीर में बताया कि उन्होंने अपनी बेटी का रिश्ता इसी क्षेत्र में तय किया था, लेकिन किसी अज्ञात व्यक्ति ने फर्जी इंस्टाग्राम आईडी बनाकर उनके होने वाले दामाद को अश्लील और आपत्तिजनक संदेश भेज दिए। इन संदेशों के वायरल होते ही दोनों परिवारों के बीच गलतफहमियां पैदा हो गईं और रिश्ता टूट गया। पिता ने बताया कि किसी ने उनकी बेटी की छवि खराब करने के लिए यह साजिश रची, जिससे पूरे परिवार की सामाजिक प्रतिष्ठा को गहरी ठेस पहुंची।
(सोशल मीडिया का चलन लगातार बढ़ रहा है जिससे बच्चे और युवक उम्र से पहले ही जवान हो जा रहे हैं माँ बाप से छिपकर सोशल मीडिया जैसे इंस्टाग्राम, फेसबुक, स्नैपचैट ,व्हाट्सअप टेलीग्राम आदि पर वो काम कर रहे हैं जिसकी आज्ञा न समाज देता है न धर्म ” आज के बच्चे और नवयुवक सोशल मीडिया पर खुलकर अश्लील वीडियो, शॉर्ट ,रील्स ,स्नेप ,टेलीग्राम बॉट देख रहे हैं जिससे उनमे कामुकता बढ़ रही है और वो माँ बाप समाज की इज़्ज़त दांव पर लगाकर वो अपराध कर बैठते हैं जो उन्हें इस उम्र में शायद नहीं करना चाहिए )
थाना प्रभारी निरीक्षक मनीष सक्सेना ने बताया कि तहरीर के आधार पर अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है और साइबर सेल मामले की गहन जांच में जुट गई है।
लेकिन यह घटना सिर्फ एक परिवार की नहीं — यह पूरे समाज के बदलते स्वरूप का आईना है। सोशल मीडिया के बढ़ते दुरुपयोग ने आज के युवाओं और बच्चों के सोचने-समझने के तरीके को बदलकर रख दिया है। इंस्टाग्राम, फेसबुक, स्नैपचैट, व्हाट्सऐप और टेलीग्राम जैसे प्लेटफॉर्म अब सिर्फ संवाद के साधन नहीं रह गए, बल्कि एक ऐसी आभासी दुनिया बन चुके हैं जहां नैतिकता और मर्यादा की सीमाएं धुंधली पड़ चुकी हैं।
आज के बच्चे और नवयुवक माँ-बाप से छिपकर सोशल मीडिया पर वो

विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटल दुनिया ने बच्चों को एक ऐसी आज़ादी दे दी है जिसका इस्तेमाल वे सही और गलत में फर्क किए बिना कर रहे हैं। अभिभावकों की निगरानी कम होने और नैतिक शिक्षा के अभाव में युवा सोशल मीडिया की आभासी चमक में फंसकर असली जीवन के मूल्य भूलते जा रहे हैं।
समाजशास्त्रियों का मत है कि अब समय आ गया है जब स्कूलों, परिवारों और सरकार को मिलकर डिजिटल साक्षरता और नैतिकता की शिक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए। बच्चों को यह समझाना ज़रूरी है कि सोशल मीडिया मनोरंजन का माध्यम हो सकता है, लेकिन यह जीवन की दिशा तय नहीं कर सकता।
