ALIGARH UP : अलीगढ़ — आखिरकार 15 दिन की लगातार तलाश और राज्यों की सीमाएं खंगालने के बाद पुलिस ने बाइक शोरूम मालिक अभिषेक गुप्ता मर्डर केस की मुख्य आरोपी पूर्व महामंडलेश्वर पूजा शकुन पांडे उर्फ अन्नपूर्णा भारती को गिरफ्तार कर लिया है। राजस्थान में छिपकर फरारी काट रही पूजा को शनिवार को दबोच लिया गया।
यह वही पूजा शकुन पांडे है, जो कभी अखिल भारत हिंदू महासभा की राष्ट्रीय सचिव और महामंडलेश्वर के रूप में जानी जाती थी। लेकिन धार्मिक वेशभूषा के पीछे छिपा उसका एक ऐसा चेहरा अब सामने आया है जिसने पूरे उत्तर प्रदेश को हिलाकर रख दिया है।
26 सितंबर की वो शाम: जब मौत बनकर बरसीं गोलियां
26 सितंबर की शाम, अलीगढ़ के खैर कस्बे में रोज़ की तरह टीवीएस बाइक शोरूम के मालिक 30 वर्षीय अभिषेक गुप्ता दुकान बंद कर घर लौट रहे थे। पिता नीरज गुप्ता और चचेरे भाई जीतू के साथ वह बस में सवार होने ही वाले थे कि तभी बाइक सवार दो हमलावरों ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं।
अभिषेक की मौके पर ही मौत हो गई। भीड़ और पुलिस के पहुंचने से पहले ही शूटर फरार हो चुके थे। इलाके में सनसनी और आक्रोश फैल गया।
पुलिस ने खोला साजिश का जाल
एसएसपी अलीगढ़ और एसपी सिटी मृगांक शेखर पाठक के निर्देशन में गठित पुलिस टीम ने इस मामले की तहकीकात शुरू की।
सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल सर्विलांस और कॉल डिटेल्स के आधार पर पुलिस ने पाया कि इस हत्या की मास्टरमाइंड पूजा शकुन पांडे ही है — वही पूजा जो धार्मिक मंचों से कट्टर बयान देकर चर्चाओं में रही थी।
जांच में खुलासा हुआ कि पूजा ने अपने पति अशोक पांडे (राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिंदू महासभा) के साथ मिलकर अभिषेक गुप्ता की हत्या की साजिश रची थी। सुपारी देने के लिए उसने दो शूटरों — फजल और आसिफ को भेजा था।
अशोक पांडे और दोनों शूटरों को पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया था।
पूजा फरार थी, जिसके बाद उस पर ₹50,000 का इनाम घोषित किया गया था।
पुलिस की पकड़ से बचने की कोशिश, राजस्थान में हुआ अंत
पुलिस ने यूपी, उत्तराखंड और दिल्ली के बाद जब राजस्थान में छानबीन शुरू की, तो आखिर शनिवार को वह जयपुर-सीकर बॉर्डर के पास पकड़ी गई।
पूजा ने गिरफ्तारी के दौरान कोई प्रतिरोध नहीं किया। उसे ट्रांजिट रिमांड पर अलीगढ़ लाया जा रहा है।
कैसे शुरू हुई यह कहानी — शिक्षक की बेटी से महामंडलेश्वर तक का सफर
हाथरस के सिकंदराराऊ की रहने वाली पूजा शकुन पांडे एक सामान्य परिवार से थीं। पिता शिक्षक थे। पढ़ाई में तेज़ होने के कारण उन्होंने एम.फिल (गणित) तक की पढ़ाई की और गाजियाबाद के एक कॉलेज में प्रोफेसर बनीं।
उसी दौरान उनकी मुलाकात मैनपुरी के अशोक पांडे से हुई, दोनों ने लव मैरिज की और हिंदू महासभा से जुड़ गए।
विवाह के बाद पूजा ने अध्यापन छोड़कर धर्म और राजनीति के मंचों पर सक्रियता शुरू की।
साल 2016 में वह हिंदू महासभा की राष्ट्रीय सचिव बनीं और 2021 में निरंजनी अखाड़े से महामंडलेश्वर की उपाधि पाई।
रिश्तों की दरार और मर्डर की साजिश
पुलिस जांच में सामने आया कि अभिषेक और पूजा की जान-पहचान पुरानी थी। जब पूजा के पिता अंबाला में तैनात थे, उस वक्त अभिषेक के पिता नीरज गुप्ता ने अपने बेटे को पढ़ाई के लिए पूजा के पास भेजा था।
यहीं से दोनों के बीच पहचान और नजदीकियां बढ़ीं।
वक्त बीतने के साथ जब पूजा धार्मिक गतिविधियों में व्यस्त हुई, तब भी अभिषेक से संपर्क बना रहा।
अभिषेक की सफलता — उसका बाइक शोरूम — और युवावस्था में मिल रही पहचान ने पूजा को प्रभावित किया।
पुलिस के अनुसार, दोनों के बीच अवैध संबंध थे और पूजा चाहती थी कि अभिषेक उसके साथ रहे।
लेकिन जब अभिषेक ने उससे दूरी बनानी शुरू की और फोन तक ब्लॉक कर दिया, तो पूजा का गुस्सा बेकाबू हो गया।
अभिषेक ने अपने बिजनेस में पूजा की हिस्सेदारी देने से भी मना कर दिया था।
इसके बाद ही हत्या की सुपारी दी गई।
पूछताछ में पूजा के खुलासे की तैयारी
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, पूजा शकुन पांडे से कई अहम सवाल पूछे जाएंगे —
किसके जरिए उसने शूटरों तक सुपारी पहुंचाई?
क्या धार्मिक संगठन के फंड या किसी कार्यकर्ता ने मदद की?
और क्या हत्या का मकसद सिर्फ ‘रिश्ता और ईगो’ था या इसके पीछे आर्थिक विवाद भी शामिल था?
