रोडवेज बस सेवा शुरू न होने पर प्रशासन और जनप्रतिनिधियों पर उठे सवाल
रामपुर (स्वार): रामपुर ज़िले की स्वार तहसील की जनता सालों से एक ही सवाल बार-बार उठा रही है — आखिर कब दौड़ेगी रोडवेज बसें रामपुर–बाज़पुर–नैनीताल हाईवे पर? सड़क तो कई साल पहले बन चुकी है, लेकिन सरकारी बस सेवा आज तक शुरू नहीं हुई। जनता अब खुले तौर पर प्रशासन और परिवहन विभाग की उदासीनता को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रही है।
रोजाना हज़ारों यात्रियों की मजबूरी
स्वार नगर और तहसील क्षेत्र से रोजाना बड़ी संख्या में यात्री दिल्ली, नोएडा, बरेली, रुद्रपुर, काशीपुर, जसपुर, हरिद्वार, देहरादून, हल्द्वानी, नैनीताल, रामनगर, कालाढूंगी, मुरादाबाद, अमरोहा और लखनऊ जैसे शहरों की ओर जाते हैं।
लेकिन सीधी रोडवेज बस सेवा न होने के कारण हज़ारों यात्रियों को एक से दो बसें बदलनी पड़ती हैं। इससे न सिर्फ समय और पैसा बर्बाद होता है, बल्कि उन्हें यात्रा के दौरान धक्कों और असुविधा का भी सामना करना पड़ता है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि सालों से यह मुद्दा चुनावी वादों में शामिल होता है, मगर वोट खत्म होते ही वादे भी खत्म हो जाते हैं।
विधायक से लेकर सांसद तक, इस जनसमस्या पर सब खामोश हैं। जनता सवाल पूछ रही है —
“जब प्रतिनिधि ही अपने क्षेत्र की आवाज़ नहीं बनेंगे, तो विकास कैसे होगा?”
स्वार यातायात में पिछड़ा क्यों?
यातायात के मामले में स्वार तहसील जिले की अन्य तहसीलों — बिलासपुर, मिलक और टांडा — से पीछे है।
इन सभी जगहों पर रोडवेज बसों का नियमित संचालन होता है, लेकिन स्वार में वर्षों से बस सेवा शुरू नहीं की गई।
स्थानीय लोग इसे प्रशासनिक उपेक्षा और राजनीतिक उदासीनता का नतीजा मानते हैं।
🚦“विकास” का अधूरा वादा
रामपुर–बाज़पुर–नैनीताल हाईवे उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को जोड़ने वाला अहम मार्ग है।
इस सड़क का चौड़ीकरण और मरम्मत कार्य वर्षों पहले पूरा हो गया, लेकिन रोडवेज बसें अब तक नहीं चलीं।
स्वार निवासी रिहान अहमद कहते हैं —
“हर चुनाव में नेता दौरे करते हैं, योजनाओं की बातें होती हैं, लेकिन रोडवेज बस चलाने की फाइल सालों से दफ्तरों में धूल फांक रही है। जनता अब भरोसा खो चुकी है।”
ग्रामीणों, महिलाओं और विद्यार्थियों की परेशानी
बस सेवा न होने से सबसे अधिक परेशानी महिलाओं, छात्रों और बुजुर्गों को होती है।
निजी टैक्सियों और जीपों पर निर्भर रहना न केवल महंगा है बल्कि असुरक्षित भी।
शबीना परवीन, जो रोज़ाना कॉलेज जाने के लिए संघर्ष करती हैं, कहती हैं —
“कभी-कभी टैक्सी न मिलने पर कॉलेज नहीं जा पाते। अगर रोडवेज बसें होतीं तो खर्च भी कम होता और यात्रा सुरक्षित भी रहती।”
प्रशासन और परिवहन विभाग पर गंभीर सवाल
मुनीर आलम ने कहा —
“यह मुद्दा नया नहीं है। पिछले कई सालों से जनता मांग कर रही है।आखिर क्यों जनता की बुनियादी जरूरतों पर इतनी लापरवाही की जा रही है?”
“हम अब वादे नहीं, काम चाहते हैं। सड़क तैयार है, भीड़ है, यात्री हैं — बस प्रशासन की मंशा नहीं है। अगर जल्दी निर्णय नहीं हुआ तो सड़क पर उतरना मजबूरी होगी।”
क्या कहती है जनभावना?
जनता का मानना है कि अगर रोडवेज बसें शुरू होंगी, तो निजी वाहनों की मनमानी खत्म होगी, किराए में पारदर्शिता आएगी और आम जनता को सस्ती, सुरक्षित यात्रा सुविधा मिलेगी।
इससे स्थानीय व्यापार में भी बढ़ोतरी होगी और रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
जनता का सवाल प्रशासन से —
“सड़कें तैयार हैं, जनता तैयार है… तो फिर बसें क्यों नहीं?”
प्रशासन को अब जवाब देना ही होगा —
आखिर कब दौड़ेगी स्वार की धरती पर रोडवेज बसें?
