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RAMPUR UP :  रामपुर ज़िले के पीपली वन क्षेत्र का अस्तित्व अपनी आखिर सांसे ले रहा है लगातार हो रहे अवैध कटान से शायद भविष्य में यह वन अपना वजूद कायम न रख पाए इसकी बर्बाद के पीछे खुद इसके विभाग (वन विभाग) की नाकामी है जो जो इसकी देखभाल करने में लगातार नाकाम रहा है, खैर, सागौन और शीशम जैसी बेशकीमती लकड़ियाँ खुलेआम काटी जा रही हैं, मगर हैरानी की बात यह है कि वन विभाग की चौकियाँ होने के बावजूद किसी को रोकने वाला नहीं है। रात में तस्कर लकड़ी काट कर ले जाते हैं सुबह वन विभाग को पता चलता है कुछ दिन हल्ला गुल्ला होता बाद में अगला कटान हो जाता है और वन विभाग मूकदर्शक बने बैठता है, यह पहली बार नहीं है हर वन तस्कर जीत जाते हैं और वन विभाग हर जाता है

स्थानीय ग्रामीण कई बार यह आरोप लगा चुके हैं कि वन माफियाओं और वन विभाग के कुछ कर्मियों के बीच मिलीभगत है, तभी पीपली वन में हर बार तस्करी का खेल खेला जाता है और सख्त कार्यवही नहीं होती मामला लखनऊ तक नहीं पहुँचता हर बार मामले को यही दबा दिया जाता है,

हर बार नई चोरी, हर बार पुराना जवाब — “जांच जारी है”

ग्रामीण बताते हैं कि वन धीरे धीरे अवैध कटान से अपना अस्तित्व खो रहा है लगातार कटान होता है बस कभी मामला खुल जाता है तो कभी अंदर खाने से जारी रहता है पिछले कुछ महीनों में कई बार अवैध कटान की खबरें सुर्खियों में आईं, लेकिन हर बार मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। वनकर्मी मौके पर पहुंचने का दावा करते हैं, मगर न कोई तस्कर पकड़ा जाता है, न कोई सख्त कार्रवाई होती है।

स्थानीय निवासी का कहना है

“वन के अंदर चौकियाँ हैं, लेकिन रात पेड़ काट लिए जाते हैं लेकिन चौकी को कानोंकान खबर नहीं होती इससे यह बात साफ है कही न कही नीचे से ऊपर तक तो मिलीभगत ज़रूर हो सकती है ” अगर मिलीभगत नहीं होती तो किसी भी वन माफिया की हिम्मत नहीं होती के वन के अंदर आकर हर बार वन के बेशकीमती पेड़ो का सफाया कर सके ”

धार्मिक और पर्यावरणीय खतरा बढ़ा

पीपली वन सिर्फ प्राकृतिक संपदा नहीं, बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है। यहाँ स्थित पीपली देवी मंदिर और कई मज़ारें श्रद्धा का केंद्र हैं। अवैध कटान से न केवल पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है, बल्कि धार्मिक स्थलों की पवित्रता पर भी खतरा मंडरा रहा है।पिछले कुछ सालों से अवैध कटान से वन क्षेत्र लगातार सिकुड़ रहा है

जनता के सवाल — चौकियाँ किस काम की?

ग्रामीणों का कहना है कि हर बार प्रशासन और वन विभाग “जांच” का हवाला देकर मामला रफा-दफा कर देता है।
लेकिन जनता अब पूछ रही है —

पीपली वन को बचाने को लेकर कई लोग मेहनत कर रहे हैं उन्होंने बड़ा आरोप लगते हुए कहा कि वन विभाग को यह साफ़ करना चाहिए कि वन में चौकियां क्यों बनाई गई है इसे बचाने के लिए या इसे मिटाने के लिए वन माफिया हर बार बेशकीमती लकड़ी काटकर कैसे निकल जाते हैं”

किसके संरक्षण में यह व्यापार फल-फूल रहा है?

सवालों के घेरे में वन विभाग की कार्यप्रणाली

अवैध कटान पर कार्रवाई न होने से वन विभाग की भूमिका संदिग्ध लग रही है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि “ऊपर तक हाथ मिले हुए हैं”, इसलिए किसी बड़े अधिकारी तक ये मामले कभी नहीं पहुंचते।

जानकारों का मानना है कि अगर ईमानदारी से जांच हो, तो कई अधिकारी और कर्मचारी इसमें फंस सकते हैं।

जनता की मांग — सख्त जांच और निलंबन जरूरी

अब ग्रामीणों और सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि वन विभाग की चौकियों की स्वतंत्र जांच कराई जाए।
सभी कर्मचारियों की ड्यूटी रजिस्टर, रात की गश्त रिपोर्ट और संपत्ति का विवरण खंगाला जाए।
यदि मिलीभगत पाई जाती है, तो संबंधित अफसरों को निलंबित कर कानूनी कार्रवाई की जाए।