RAMPUR UP : तहज़ीब का प्रतीक रही रामपुर रियासत (RAMPUR STATE) आज एक बार फिर ग़म में डूब गई। रामपुर रियासत (RAMPUR STATE) के अंतिम शासक नवाब रज़ा अली ख़ां की बेटी नवाबजादी मेहरून्निसा बेगम का 92 वर्ष की आयु में अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी में इंतकाल हो गया। उनके निधन की ख़बर ने न सिर्फ़ रामपुर बल्कि उन सभी लोगों को गमगीन कर दिया, जो रियासत की पुरानी यादों और शाही परिवार की तहज़ीब से जुड़े रहे हैं।
मेहरून्निसा बेगम का जन्म 24 जनवरी 1933 को रामपुर दरबार में हुआ था। उनकी परवरिश उस दौर में हुई जब रियासतें भारत की संस्कृति और ज्ञान की सबसे बड़ी पहचान हुआ करती थीं। वे नवाब रज़ा अली ख़ां की तीसरी बेगम तलअत जमानी बेगम की पुत्री थीं। बचपन से ही उन्होंने मसूरी और लखनऊ के नामी स्कूलों में शिक्षा प्राप्त की, जहां उन्होंने भारतीय सभ्यता और आधुनिक शिक्षा का सुंदर संगम देखा।

यौवन की दहलीज पर पहुंचते ही उन्होंने भारतीय सिविल सेवा से जुड़े सैयद तकी नकी से विवाह किया। यह रिश्ता रियासत की परंपरा और प्रशासनिक सम्मान का प्रतीक था। बाद में उनकी दूसरी शादी पाकिस्तान के एयर चीफ़ मार्शल अब्दुर्रहीम ख़ां से हुई, जो स्पेन में पाकिस्तान के राजदूत भी रहे। इस शादी के बाद उनका जीवन सीमाओं से परे एक नए अंतरराष्ट्रीय दौर में प्रवेश कर गया।
सन 1977 में वह अमेरिका चली गईं, जहां उन्होंने अपनी मातृभाषा उर्दू और हिंदी को नए मुकाम तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया। वॉशिंगटन स्थित इंटरनेशनल सेंटर फॉर लैंग्वेज स्टडीज़ में वह उर्दू और हिंदी की शिक्षिका रहीं। इस भूमिका में उन्होंने न सिर्फ़ भाषा सिखाई, बल्कि हिंदुस्तानी संस्कृति और तहज़ीब को भी दुनिया के सामने जीवित रखा।
उनका जीवन इस बात की मिसाल था कि रियासतों की बेटियां सिर्फ़ परंपरा की रखवाली नहीं, बल्कि शिक्षा, भाषा और संस्कृति की दूत भी बन सकती हैं।
उनके परिवार में एक बेटा जैन नकी और दो बेटियां जेबा हुसैन व मरयम ख़ान हैं, जो आज अमेरिका में बसकर अपनी मां की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
रामपुर में जब उनके इंतकाल की ख़बर पहुंची, तो पुराने महल, रज़ा पुस्तकालय और नवाबी परिवार से जुड़े इलाकों में सन्नाटा फैल गया। लोग याद करते रहे कि कैसे मेहरून्निसा बेगम अपनी विनम्रता, सादगी और रियासती अंदाज़ के लिए पहचानी जाती थीं।
इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (INTACH) रुहेलखंड चैप्टर के सह संयोजक काशिफ ख़ान ने बताया — “मेहरून्निसा बेगम रामपुर की तहज़ीब की पहचान थीं। उन्होंने भारत छोड़ने के बावजूद अपनी मिट्टी से रिश्ता कभी नहीं तोड़ा। उनकी शख्सियत इस बात की प्रतीक थी कि असल शाहीपन इंसानियत में होता है, दिखावे में नहीं।”
रामपुर रियासत के अंतिम नवाब रज़ा अली ख़ां के तीन पुत्र — नवाबजादा मुर्तज़ा अली ख़ां, जुल्फ़िकार अली ख़ां (मिक्की मियां) और आबिद अली ख़ां (सलीम मियां) पहले ही इस दुनिया से रुख़सत हो चुके हैं। उनकी छह बेटियों में से अब तीन का निधन हो चुका है।
परिवार के वर्तमान उत्तराधिकारी और पूर्व मंत्री नवाब काज़िम अली ख़ां उर्फ़ नवेद मियां ने कहा,
“मेहरून्निसा आपा का जाना हमारे परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि रामपुर की तहज़ीब के लिए भी बहुत बड़ी क्षति है। उन्होंने जिस गरिमा और शांति के साथ जीवन जिया, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है।”
रामपुर की जनता के लिए यह महज़ एक मौत नहीं, बल्कि अपने इतिहास के एक उज्ज्वल अध्याय का अंत है।
मेहरून्निसा बेगम की यादें आज भी लोगों के ज़ेहन में ज़िंदा रहेंगी — उनकी मीठी उर्दू, सादा लिबास, और अपने मुल्क से मोहब्बत करने वाला दिल।
वॉशिंगटन में 29 अक्टूबर को ग़मगीन माहौल में उन्हें सुपुर्द-ए-ख़ाक किया गया, लेकिन उनकी रूह हमेशा उस रामपुर की गलियों में महसूस की जाएगी, जहां कभी नवाबी विरासत ने तहज़ीब को ज़िंदा रखा था।
