SWAR RAMPUR UP ; सलारपुर वन चौकी पर कथित खैर तस्करों और वन विभाग की टीम के बीच हुई बताई जा रही मुठभेड़ की कहानी अब फर्जी साबित हो चुकी है। शासन स्तर पर की गई जांच में घटना को मनगढ़ंत पाए जाने के बाद बड़ी कार्रवाई करते हुए वन रेंजर मुजाहिद हुसैन को निलंबित कर दिया गया है। इस कदम से पूरे वन विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।
क्या थी घटना की कहानी
8 सितंबर की रात सलारपुर वन चौकी क्षेत्र से अचानक यह खबर सामने आई कि वन कर्मियों और खैर तस्करों के बीच जबरदस्त मुठभेड़ हुई है। बताया गया कि करीब 15-20 तस्करों ने जंगल में घुसकर खैर की लकड़ी चोरी करने की कोशिश की।
वन कर्मियों ने दावा किया कि तस्करों ने चौकी की बाड़ काटकर घुसपैठ की और फायरिंग शुरू कर दी। इसके बाद रेंजर मुजाहिद हुसैन के नेतृत्व में टीम ने जवाबी कार्रवाई करते हुए तस्करों को खदेड़ दिया।
मौके से वन विभाग ने एक मोटरसाइकिल, कुल्हाड़ी और रस्सी बरामद करने का दावा भी किया था। इस पूरी कार्रवाई की सूचना तत्काल वरिष्ठ अधिकारियों को भेजी गई थी और इसे विभाग की “साहसिक कार्रवाई” के रूप में प्रस्तुत किया गया था।
जांच में खुली पोल
घटना की गंभीरता को देखते हुए शासन ने पूरी रिपोर्ट की जांच के आदेश दिए। प्रारंभिक जांच में कई सवाल उठे —
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मुठभेड़ के दौरान किसी के घायल या घायल होने का कोई प्रमाण नहीं मिला।
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फायरिंग की बात कही गई, लेकिन मौके से कोई कारतूस या गोली का निशान नहीं मिला।
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जिस मोटरसाइकिल के सीज किए जाने का दावा किया गया था, उसकी वैध कागजात एक स्थानीय ग्रामीण के नाम पर निकली, जिसने बताया कि उसकी बाइक किसी ने उधार ली थी।
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मौके पर मौजूद वनकर्मियों के बयान भी आपस में मेल नहीं खाते थे।
इन तमाम विरोधाभासों के बाद जांच अधिकारियों ने रिपोर्ट तैयार की, जिसमें साफ लिखा गया कि “कथित मुठभेड़ पूरी तरह से झूठी और मनगढ़ंत है, जिसे विभागीय रिकार्ड में गलत तरीके से दर्ज किया गया।”
शासन की सख्त कार्रवाई
जांच रिपोर्ट शासन को सौंपे जाने के बाद तत्काल प्रभाव से वन रेंजर मुजाहिद हुसैन को निलंबित कर दिया गया। सूत्रों के अनुसार, कुछ अन्य कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है, जिनके खिलाफ विभागीय जांच अलग से जारी है।
वरिष्ठ अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि “सरकारी रिकॉर्ड में गलत सूचना दर्ज करने और झूठी मुठभेड़ दिखाने” को गंभीर अनियमितता माना गया है। इस घटना ने वन विभाग की साख पर सवाल खड़ा कर दिया है, विशेषकर उस क्षेत्र में जहाँ खैर की लकड़ी की अवैध कटाई लंबे समय से चिंता का विषय रही है।
स्थानीय स्तर पर चर्चा का विषय
स्थानीय लोगों का कहना है कि उस दिन इलाके में किसी भी तरह की गोलीबारी या हलचल सुनाई नहीं दी थी। अब जबकि मामला फर्जी निकला, लोग विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं। एक ग्रामीण ने बताया — “अगर वन विभाग झूठे मामलों में उलझा रहेगा, तो असली तस्कर खुले में काम करते रहेंगे।”
वन विभाग में मचा हड़कंप
इस घटना के बाद रामपुर रेंज के अन्य अधिकारी भी सतर्क हो गए हैं। विभाग के भीतर चर्चा है कि शासन आगे और सख्त कदम उठा सकता है। कुछ अधिकारियों ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि ऐसे मामलों से ईमानदार कर्मचारियों की छवि भी खराब होती है।
आगे की कार्रवाई
वन विभाग के उच्चाधिकारियों ने कहा है कि पूरी घटना की विस्तृत जांच अब विजिलेंस और पुलिस के सहयोग से की जाएगी। यदि किसी तरह की मिलीभगत या फर्जी दस्तावेज तैयार करने की पुष्टि होती है, तो संबंधितों पर आपराधिक कार्रवाई भी की जा सकती है।
