
मशहूर तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन का 15 दिसंबर, 2024 को निधन हो गया। वह 73 वर्ष के थे और पिछले दो हफ्तों से सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में इलाज करा रहे थे। परिवार ने उनके निधन की पुष्टि की, जो इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस जैसी गंभीर बीमारी के कारण हुआ।
जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को हुआ था। 3 साल की उम्र में तबला छूने वाले उस्ताद ने महज 11 साल की उम्र में अमेरिका में अपना पहला कॉन्सर्ट किया। उनका नाम तबले की दुनिया में शोहरत की नई ऊंचाइयों पर पहुंचा। उन्होंने पांच ग्रैमी अवार्ड्स, पद्म श्री (1988), पद्म भूषण (2002), और पद्म विभूषण (2023) जैसे कई सम्मान प्राप्त किए।
जाकिर हुसैन के संगीत ने पूरी दुनिया में अपनी धुनें छोड़ीं और उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों तक जीवित रहेगी। उनका निधन संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
मशहूर तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन (Zakir Hussain) का निधन हो गया है. वो 73 साल के थे. परिवार वालों ने इस बात की पुष्टि की है. करीब दो हफ्ते पहले अमेरिका के सैन फ्रैंसिस्को के एक अस्पताल में उन्हें एडमिट किया गया था. बताया जाता है कि जाकिर हुसैन का ब्लड प्रेशर ठीक नहीं चल रहा था. हालत ज्यादा खराब होने पर 15 दिसंबर की सुबह उन्हें अस्पताल के ICU में एडमिट किया गया था।
16 दिसंबर की सुबह उनके परिवार की ओर से इंडिया टुडे को दिए गए एक बयान में उनके निधन की पुष्टि की गई. कहा गया,
“दुनिया के सबसे बेहतरीन संगीतकारों में से एक जाकिर हुसैन का 73 साल की उम्र में सैन फ्रांसिस्को में निधन हो गया. उनका निधन इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस नामक बीमारी की वजह से हुआ है. वह अपने पीछे एक असाधारण विरासत छोड़ गए हैं, जिसे दुनियाभर के अनगिनत संगीत प्रेमी संजोकर रखेंगे और इसका प्रभाव आने वाली कई पीढ़ियों तक रहेगा.”
11 साल की उम्र में किया था पहला कॉन्सर्ट
जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को हुआ था. उनके पिता अल्लाह रक्खा भी तबला वादक थे. जाकिर हुसैन की प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के माहिम स्थित सेंट माइकल स्कूल से हुई. ग्रेजुएशन की पढ़ाई मुंबई के ही सेंट जेवियर्स कॉलेज से पूरी की.उनकी शादी एंटोनिया मिनीकोला से हुई, जो एक कथक डांसर और शिक्षिका रहीं. इन दोनों की दो बेटियां हैं – अनीसा कुरैशी और इजाबेला कुरैशी।
जाकिर हुसैन ने पहली बार तबला 3 साल की उम्र में छुआ था. इसके बाद 11 साल की उम्र में उन्होंने अमेरिका में अपना पहला कॉन्सर्ट किया. और खुद को इस क्षेत्र में स्थापित किया. साल 1973 में उन्होंने अपना पहला एलबम ‘लिविंग इन द मैटेरियल वर्ल्ड’ लॉन्च किया. इसके बाद जाकिर हुसैन ने ठान लिया कि वह तबले की आवाज को दुनिया भर में पहुंचाएंगे।
उस्ताद जाकिर हुसैन ने अपने पूरे करियर के दौरान पांच ग्रैमी अवार्ड जीते. इनमें से तीन अवार्ड, फरवरी 2024 में हुए 66वें ग्रैमी अवार्ड्स समारोह में जीते. उन्हें 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था. इसके अलावा उन्हें संगीत नाटक अकादमी सम्मान से भी सम्मानित किया गया था।
फेमस तबला उस्ताद जाकिर हुसैन का 73 वर्ष की उम्र में 15 दिसंबर, रविवार को निधन हो गया. वे पिछले दो हफ्तों से सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में दिल से जुड़ी समस्याओं का इलाज करा रहे थे. उनकी मौत की खबर ने संगीत जगत को गहरे शोक में डुबो दिया है. उनके करीबी से लेकर सेलेब्स, फैंस और पूरी दुनिया लोग उनको श्रद्धांजिल दे रहे हैं. उनके निधन की खबर ने हर किसी को हैरान और दुखी कर दिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उस्ताद जाकिर हुसैन लंबे समय से दिल की बीमारी से परेशान थे. हाल ही में उनकी दिल की नसों में रुकावट आ गई थी, जिससे डॉक्टरों को उन्हें स्टेंट लगाना पड़ा. उनके करीबी सूत्रों ने बताया कि वे लंबे समय से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से जूझ रहे थे. जाकिर हुसैन के निधन की खबर ने पूरे देश को झंझोर कर रख दिया है. इंडस्ट्री में मातम पसर गया है. फैंस लेकर सेलेब्स उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं.